Movie/Album: कहानी (2012)
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: अन्विता दत्त गुप्तन
Performed By: सुखविंदर सिंह
अब के बरस यूँ सावन बरसे, खारे-खारे मोती
तोरे दरस को नैना तरसे, खारे-खारे मोती
रूठूंगी पुरबा से, वो जब मुड़ के, उड़ के आएगी
बोलूंगी सखी तोसे, तू जब उनको संग में लाएगी
काँधे पे रो के दूंगी मैं, बता
तोरे बिना सूखा-सूखा सावन
तोरे बिना खाली-खाली बतियाँ
तोरे बिना बैरी-बैरी सखियाँ
तोरे बिना
की ना क़दर, फिर क्यूँ नज़र बैठी रहे, बिरहा के मारे
पूछे मगर, भटकी डगर रोये तू क्यूँ, बिरहा के मारे
तेरी इक ना झलक पिया तारों तलक
बैठी चांदनी भी खोल के किवाड़
रो दूंगी, सताऊंगी, सुनो अबके घर जो आओगे
बाबुल मैं जाऊँगी, यूँ अब देर जो लगाओगे
तोसे ही तोरी शिकायतें करूँ
तोरे बिना सूखा-सूखा सावन...
महके बदन, मेरे सजन, तेरी ही तो यादों के सहारे
सूखा गगन, बदरा नयन, बहते रहे कजरा के धारे
(मेरे) बैरी बलम, होगा कोई तो कलम
जिससे संदेसा तू भेजे हमार
ऐंठुंगी, सताऊंगी, सुनो अबके घर जो आओगे
बाबुल मैं जाऊँगी, यूँ अब देर जो लगाओगे
तोसे ही तोरी शिकायतें करूँ
तोरे बिना सूखा-सूखा सावन...
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: अन्विता दत्त गुप्तन
Performed By: सुखविंदर सिंह
अब के बरस यूँ सावन बरसे, खारे-खारे मोती
तोरे दरस को नैना तरसे, खारे-खारे मोती
रूठूंगी पुरबा से, वो जब मुड़ के, उड़ के आएगी
बोलूंगी सखी तोसे, तू जब उनको संग में लाएगी
काँधे पे रो के दूंगी मैं, बता
तोरे बिना सूखा-सूखा सावन
तोरे बिना खाली-खाली बतियाँ
तोरे बिना बैरी-बैरी सखियाँ
तोरे बिना
की ना क़दर, फिर क्यूँ नज़र बैठी रहे, बिरहा के मारे
पूछे मगर, भटकी डगर रोये तू क्यूँ, बिरहा के मारे
तेरी इक ना झलक पिया तारों तलक
बैठी चांदनी भी खोल के किवाड़
रो दूंगी, सताऊंगी, सुनो अबके घर जो आओगे
बाबुल मैं जाऊँगी, यूँ अब देर जो लगाओगे
तोसे ही तोरी शिकायतें करूँ
तोरे बिना सूखा-सूखा सावन...
महके बदन, मेरे सजन, तेरी ही तो यादों के सहारे
सूखा गगन, बदरा नयन, बहते रहे कजरा के धारे
(मेरे) बैरी बलम, होगा कोई तो कलम
जिससे संदेसा तू भेजे हमार
ऐंठुंगी, सताऊंगी, सुनो अबके घर जो आओगे
बाबुल मैं जाऊँगी, यूँ अब देर जो लगाओगे
तोसे ही तोरी शिकायतें करूँ
तोरे बिना सूखा-सूखा सावन...
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