Movie/Album: जुअल थीफ (1967)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
दिल पुकारे, आरे आरे आरे
अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे...
बरसों बीते दिल पे काबू पाते
हम तो हारे तुम ही कुछ समझाते
समझाती मैं तुमको लाखों अरमां
खो जाते हैं लब तक आते आते
पूछो ना कितनी बातें पड़ी हैं
दिल में हमारे
दिल पुकारे...
पा के तुमको है कैसी मतवाली
आँखें मेरी बिन काजल के काली
जीवन अपना मैं भी रंगीं कर लूँ
मिल जाये जो इन होठों की लाली
जो भी है अपना, लायी हूँ सब कुछ
पास तुम्हारे
दिल पुकारे...
महका महका आँचल हल्के हल्के
रह जाती हो क्यों पलकों से मलके
जैसे सूरज बन कर आये हो तुम
चल दोगे फिर दिन के ढलते ढलते
आज कहो तो मोड़ दूं बढ़ के
वक़्त के धारे
दिल पुकारे...
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
दिल पुकारे, आरे आरे आरे
अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे...
बरसों बीते दिल पे काबू पाते
हम तो हारे तुम ही कुछ समझाते
समझाती मैं तुमको लाखों अरमां
खो जाते हैं लब तक आते आते
पूछो ना कितनी बातें पड़ी हैं
दिल में हमारे
दिल पुकारे...
पा के तुमको है कैसी मतवाली
आँखें मेरी बिन काजल के काली
जीवन अपना मैं भी रंगीं कर लूँ
मिल जाये जो इन होठों की लाली
जो भी है अपना, लायी हूँ सब कुछ
पास तुम्हारे
दिल पुकारे...
महका महका आँचल हल्के हल्के
रह जाती हो क्यों पलकों से मलके
जैसे सूरज बन कर आये हो तुम
चल दोगे फिर दिन के ढलते ढलते
आज कहो तो मोड़ दूं बढ़ के
वक़्त के धारे
दिल पुकारे...
No comments:
Post a Comment