Movie/Album: ज़बक (1961)
Music By: चित्रगुप्त
Lyrics By: प्रेम धवन
दिल ने फिर याद किया बर्क़ सी लहराई है
फिर कोई चोट मुहब्बत की उभर आई है
वो भी क्या दिन थे हमें दिल में बिठाया था कभी
और हँस-हँस के गले तुमने लगाया था कभी
खेल ही खेल में क्यों जान पे बन आई है
फिर कोई चोट ...
क्या बतायें तुम्हें हम शम्मा की क़िसमत क्या है
आग में ग़मे के जलने के सिवा मुहब्बत क्या है
ये वो गुलशन है कि जिसमें न बहार आई है
दिल ने फिर...
हम वो परवाने हैं जो शम्मा का दम भरते हैं
हुस्न की आग में खामोश जला करते हैं
आह भी निकले तो प्यार की रुसवाई है
फिर कोई चोट...
Music By: चित्रगुप्त
Lyrics By: प्रेम धवन
Performed By: मो.रफ़ी, सुमन कल्यानपुर, मुकेश
दिल ने फिर याद किया बर्क़ सी लहराई है
फिर कोई चोट मुहब्बत की उभर आई है
वो भी क्या दिन थे हमें दिल में बिठाया था कभी
और हँस-हँस के गले तुमने लगाया था कभी
खेल ही खेल में क्यों जान पे बन आई है
फिर कोई चोट ...
क्या बतायें तुम्हें हम शम्मा की क़िसमत क्या है
आग में ग़मे के जलने के सिवा मुहब्बत क्या है
ये वो गुलशन है कि जिसमें न बहार आई है
दिल ने फिर...
हम वो परवाने हैं जो शम्मा का दम भरते हैं
हुस्न की आग में खामोश जला करते हैं
आह भी निकले तो प्यार की रुसवाई है
फिर कोई चोट...
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