GHULAM ALI: APNI DHUN MEIN REHTA HUN



 गुलाम अली खान: अपनी धुन में रहता हूँ

 
Apni dhun men rehta hoon;
Mein bhi tere jaisa hoon;

O pecchlee rut ke saathi;
Abki Baras main tanha hoon;
Apni dhun men rehta hoon;
Mein bhi tere jaisa hoon;

Teri gali men sara din;
Dukh ke kankad chunta hoon;
Apni dhun men rehta hoon;
Mein bhi tere jaisa hoon;

Mera diya jalaye kuan;
Mai tera khali kamra hoon;
Apni dhun m
en rehta hoon;
Main bhi tere jaisa hoon;

Apni leher hai apna rooga;
Dariya hoon aur payasaa hoon;
Apni dhun men rehta hoon;
Mein bhi tere jaisa hoon;

Aati rut mujhe rulayegi;
Jaati rut ka jhonka hoon;
Apni dhoon men rehta hoon;
Mein bhi tere jaisa hoon;
अपनी धुन में रहता हूँ;
मैं भी तेरे जैसा हूँ;
ओ पिछली रूट के साथी;
अबकी बरस मैं तन्हा हूँ;
अपनी धुन में रहता हूँ;
मैं भी तेरे जैसा हूँ;
तेरी गली में सारा दिन;
दुख के कंकड़ चुनता हूँ;
अपनी धुन में रहता हूँ;
मैं भी तेरे जैसा हूँ;
मेरा दिया जलाये कौन;
मैं तेरा खाली कमरा हूँ;
अपनी धुन में रहता हूँ;
मैं भी तेरे जैसा हूँ;
अपनी लहर है अपना रूग;
दरिया हूँ और प्यासा हूँ;
अपनी धुन में रहता हूँ;
मैं भी तेरे जैसा हूँ;
आती रुत मुझे रुलायेगी;
जाती रुत का झोंका हूँ;
अपनी धुन में रहता हूँ;
मैं भी तेरे जैसा हूँ;

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