Movie/Album: बहारों के सपने (1967)
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानुरी
Performed By: मो.रफ़ी
ज़माने ने मारे जवाँ कैसे-कैसे
ज़मीं खा गई आसमाँ कैसे-कैसे
पले थे जो कल रंग में धूल में
हुए दर-ब-दर कारवाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे...
हज़ारों के तन कैसे शीशे हों चूर
जला धूप में कितनी आँखों का नूर
चेहरे पे ग़म के निशाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे...
लहू बन के बहते वो आँसू तमाम
कि होगा इन्हीं से बहारों का नाम
बनेंगे अभी आशियाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे...
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानुरी
Performed By: मो.रफ़ी
ज़माने ने मारे जवाँ कैसे-कैसे
ज़मीं खा गई आसमाँ कैसे-कैसे
पले थे जो कल रंग में धूल में
हुए दर-ब-दर कारवाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे...
हज़ारों के तन कैसे शीशे हों चूर
जला धूप में कितनी आँखों का नूर
चेहरे पे ग़म के निशाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे...
लहू बन के बहते वो आँसू तमाम
कि होगा इन्हीं से बहारों का नाम
बनेंगे अभी आशियाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे...
No comments:
Post a Comment