Ghulam Ali: Abr barsa na hawa tez chali hai abke



अब्र बरसा ना हवा तेज़ चली है अबके
--------------------------------------------------------
Abr barasa na hawa tej chali hai abke;
Kitani wiraan teri yaadon ki gali hai abke;
(अब्र बरसा ना हवा तेज़ चली है अबके;
कितनी वीरान तेरी यादों की गली है अबके;) Kya kahu kitane bahaanon se bhulaaya hai use
Ye qayaamat badi mushkil se tali hai abke
(क्या कहूँ कितने बहानों से भुलाया है उसे;
ये क़यामत बड़ी मुश्किल से टली है अबके;)

Ya meri aankh ke kashkol men aansu chamaka;
Ya andhere mein koi shamma jali hai abke;
(या मेरी आँख के कशकोल में आँसू चमका;
या अँधेरे में कोई शम्मा जली है अबके; )

Kisko furasat hai dhu
n
wa dekhane jaaye ‘Mohasin’;
Jhopadi shahar se kuch door jali hai abke;
(किसको फुरसत है धुँवा देखने जाये ‘मोहसिन’;
झोपड़ी शहर से कुछ दूर जली है अबके..!)

No comments:

Post a Comment