Movie/Album: भीगी रात (1965)
Music By: रोशन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफी, लता मंगेशकर
रफ़ी
दिल जो न कह सका
वही राज़-ए-दिल कहने की रात आई
दिल जो न कह सका
तौबा ये किस ने अंजुमन सजा के
टुकड़े किये हैं गुंच-ए-वफ़ा के
उछालो गुलों के टुकड़े
के रंगीं फ़िज़ाओं में रहने की रात आई
दिल जो न कह सका...
चलिये मुबारक ये जश्न दोस्ती का
दामन तो थामा आपने किसी का
हमें तो खुशी यही है
तुम्हें भी किसी को अपना कहने की रात आई
दिल जो न कह सका...
सागर उठाओ दिल का किस को ग़म है
आज दिल की क़ीमत जाम से भी कम है
पियो चाहे खून-ए-दिल हो
के पीते पिलाते ही रहने की रात आई
दिल जो न कह सका...
लता:
दिल जो ना कह सका
वही राज-ए-दिल, कहने की रात आई
नग्मा सा कोई जाग उठा बदन में
झनकार की सी थरथरी है तन में
प्यार की इन्हीं धड़कती फ़िज़ाओं में
रहने की रात आई...
अब तक दबी थी एक मौज-ए-अरमां
लब तक जो आई, बन गई हैं तूफां
बात प्यार की बहकती निगाहों से
कहने की रात आई...
गुज़रे ना ये शब, खोल दूँ ये जुल्फें
तुम को छुपा लूँ, मूँद के ये पलकें
बेक़रार सी लरज़ती सी छाँव में
रहने की रात आई...
Music By: रोशन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफी, लता मंगेशकर
रफ़ी
दिल जो न कह सका
वही राज़-ए-दिल कहने की रात आई
दिल जो न कह सका
तौबा ये किस ने अंजुमन सजा के
टुकड़े किये हैं गुंच-ए-वफ़ा के
उछालो गुलों के टुकड़े
के रंगीं फ़िज़ाओं में रहने की रात आई
दिल जो न कह सका...
चलिये मुबारक ये जश्न दोस्ती का
दामन तो थामा आपने किसी का
हमें तो खुशी यही है
तुम्हें भी किसी को अपना कहने की रात आई
दिल जो न कह सका...
सागर उठाओ दिल का किस को ग़म है
आज दिल की क़ीमत जाम से भी कम है
पियो चाहे खून-ए-दिल हो
के पीते पिलाते ही रहने की रात आई
दिल जो न कह सका...
लता:
दिल जो ना कह सका
वही राज-ए-दिल, कहने की रात आई
नग्मा सा कोई जाग उठा बदन में
झनकार की सी थरथरी है तन में
प्यार की इन्हीं धड़कती फ़िज़ाओं में
रहने की रात आई...
अब तक दबी थी एक मौज-ए-अरमां
लब तक जो आई, बन गई हैं तूफां
बात प्यार की बहकती निगाहों से
कहने की रात आई...
गुज़रे ना ये शब, खोल दूँ ये जुल्फें
तुम को छुपा लूँ, मूँद के ये पलकें
बेक़रार सी लरज़ती सी छाँव में
रहने की रात आई...
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